प्रेम प्रसंग विनाश का कारण बनता है।(About Love Marriage)
- श्री शिव जी के नाराज होने की कथा बता दी थी। माता ने अपने पति दक्ष कोसब बताया था। पार्वती जी को अब न मायके में स्थान था, न ससुराल में। प्रेमविवाह ने ऐसी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न कर दी कि दक्ष पुत्रा को आत्महत्या केअतिरिक्त कोई विकल्प नहीं देखा और राजा दक्ष के विशाल हवन कुण्ड में जलकरमर गई। धार्मिक अनुष्ठान का नाश किया। अपना अनमोल मानव जीवन खोया। (About Love Marrige)
- पिता का नाश कराया क्योंकि जब श्री शिव जी को पता चला तो वे अपनी सेनालेकर पहुँचे और अपने ससुर दक्ष जी की गर्दन काट दी। बाद में बकरे की गर्दनलगाकर जीवित किया। उस प्रेम विवाह ने कैसा घमासान मचाया। शिव सेना कोबारात बताकर कुप्रथा को जन्म दिया गया है और यह प्रसंग प्रेम विवाह रूपीकुप्रथा का जनक है जो समाज के नाश का कारण है।विवाह जो सुप्रथा से हुआ, वह आज तक सुखी जीवन जी रहे हैं। जैसे श्रीब्रह्मा जी तथा श्री विष्णु जी।विवाह करने का उद्देश्य :- विवाह का उद्देश्य केवल संतानोत्पत्ति करना है।फिर पति-पत्नी मिलकर परिश्रम करके बच्चों का पालन करते हैं। उनका विवाहकर देते हैं। फिर वे अपना घर बसाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेम विवाह समाज मेंअशांति का बीज बोना है। समाज बिगाड़ की चिंगारी है।(About Love Marrige)
- (About Love Marrige) प्रेम प्रसंग कैसा होता है?उत्तर :- जो चरित्राहीन लड़के-लड़की होते हैं, वे चलते समय अजीबो-गरीबऐक्टिंग करते हैं। उन लजमारों की दृष्टि भी टेढ़ी-मेढ़ी चलती है। कभी बनावटी मुस्कराना। मुड़-मुड़कर आगे-पीछे देखना। चटक-मटककर चलना उन पापात्माओंका शौक होता है जो अंत में प्रेम विवाह का रूप बन जाता है। बाद में उनको पताचलता है कि दोनों के अन्य भी प्रेमी-प्रमिकाऐं थी। फिर उनकी दशा भगवानशिवजी-पार्वती वाली होती है। न घर के रहते हैं, न घाट के। विवाह करने काउद्देश्य ऊपर बता दिया है। इससे हटकर जो भी कदम युवा उठाते हैं, वह जीवनसफर को नरक बनाने वाला होता है। यदि किसी का प्रेम सम्बन्ध भी बन जाए तोइस बात का ध्यान अवश्य रखे कि अपने समाज की मर्यादा (जैसे गोत्रा, गाँव तथाविवाह क्षेत्रा) भंग न होती हो जिससे कुल व माता-पिता की इज्जत को ठेस पहुँचे।गलती से ऐसा हो भी जाए और बाद में पता चले तो लड़के-लड़की को चाहिए कि तुरंत उस प्रेम को तोड़ दें।(About Love Marrige)
- अंतरजातिय विवाह वर्तमान में करने में कोई हानि नहींहै, परंतु उपरोक्त मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें।(About Love Marrige)
- भगवान शिव जी ने भी देवीपार्वती को इसी कारण से त्यागा था। कथा इस प्रकार है(About Love Marrige) :-‘‘भगवान शिव का अपनी पत्नी को त्यागना’’जिस समय श्री रामचन्द्र पुत्रा श्री दशरथ (राजा अयोध्या) बनवास का समयबिता रहे थे। उस दौरान सीता जी का अपहरण लंका के राजा रावण ने कर लिया था ।
- राम सीता के विलाप में क्यो रो रहे थे ?(About Love Marrige)
- श्री राम को पता नहीं था। सीता जी के वियोग में श्री राम जी विलाप कररहे थे। आकाश से शिव-पार्वती ने देखा। पार्वती ने शिव से पूछा कि यह व्यक्तिइतनी बुरी तरह क्यों रो रहा है? इस पर क्या विपत्ति आई है? श्री शिव जी नेबताया कि यह साधारण व्यक्ति नहीं है। यह श्री विष्णु जी हैं जो राजा दशरथ केघर जन्में हैं। अब बनवास का समय बिता रहे हैं। इनकी पत्नी सीता भी इनके साथआई थी, उसका किसी ने अपहरण कर लिया है। इसलिए दुःखी है। पार्वती जीने कहा कि मैं सीता रूप धारण करके इनके सामने जाऊँगी। यदि मुझे पहचान लेंगेतो मैं मानूंगी कि ये वास्तव में भगवान हैं। शिव जी ने पार्वती से कहा था कि यहगलती ना करना। यदि आपने सीता रूप धारण कर लिया तो मेरे काम की नहींरहोगी। पार्वती जी ने उस समय तो कह दिया कि ठीक है, मैं परीक्षा नहीं लूंगी।परंतु शिव के घर से बाहर जाते ही सीता रूप धारकर श्री राम के सामने खड़ी होगई। श्री राम बोले कि हे दक्ष पुत्रा माया! आज अकेले कैसे आई? श्री शिव जी कोकहाँ छोड़ आई? तब देवी जी लज्जित हुई और बोली कि भगवान शिव सत्य हीकह रहे थे कि आप त्रिलोकी नाथ हैं। आप ने मुझे पहचान लिया। मैं परीक्षा लेनेआई थी। भगवान शिव को भी पता चल गया कि पार्वती ने सीता रूप धारण करकेपरीक्षा ली है। पार्वती जी से पूछा कि कर दिया वही काम जिसके लिए मना कियाथा। पार्वती जी ने झूठ भी बोला कि मैंने कोई परीक्षा नहीं ली है, परंतु शिव जीपूर्ण रूप से नाराज हो गए और प्रेम विवाह नरक का कारण बना जो ऊपर आपजी ने पढ़ा है।इसलिए युवाओं से निवेदन है कि अपनी कमजोरी के कारण माता-पिता तथासमाज में विष न घोलें। विवाह करना अच्छी बात है। बकवाद करना बुरी बात है।विवाह के लिए माता-पिता समय पर स्वयं चिंतित हो जाते हैं और विवाह करके हीदम लेते हैं। फिर युवा क्यों सिरदर्द मोल लेते हैं? जब तक विवाह नहीं होता, चावचढ़ा रहता है। विवाह के पश्चात् बच्चे हो जाते हैं। सात साल के पश्चात् महसूसहोने लगता है कि ’’या के बनी‘‘? जैसे हरियाणवी कवि (स्वांगी) जाट मेहर सिंहजी ने कहा है कि :-विवाह करके देख लियो, जिसने देखी जेल नहीं है।जैसे जेल में चार दिवारी के अंदर रहना मजबूरी होती है। इसी प्रकार विवाहके पश्चात् माता-पिता अपने परिवार के पोषण के लिए ग्रहस्थी जीवन जीने के लिएसामाजिक मर्यादा रूपी चार दिवारी के अंदर रहना अनिवार्य हो जाता है। अपनीमर्जी नहीं चला सकता यानि नौकरी वाला नौकरी पर जाता है। मजदूर मजदूरीपर तथा किसान खेत के कार्य को करने के लिए मजबूर है जो जरूरी है। इसलिएविवाहित जीवन मर्यादा रूपी कारागार कही जाती है। परंतु इस कारागार बिनासंसार की उत्पत्ति नहीं हो सकती। अपने माता-पिता जी ने भी विवाह किया। अपनेको अनमोल मनुष्य शरीर मिला। इस शरीर में भक्ति करके मानव मोक्ष प्राप्त करसकता है जो विवाह का ही वरदान है। इस पवित्रा सम्बन्ध को चरित्राहीन व्यक्ति 30 कामुक (sexy) कथा सुनाकर तथा राग-रागनी गाकर युवाओं में वासनाओं कोउत्प्रेरित करते हैं जिससे शांत व मर्यादित मानव समाज में आग लग जाती है।जिस कारण से कई परिवार उजड़ जाते हैं। जै से समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलताहै कि युवक तथा युवती ने गाँव की गाँव में प्रेम करके नाश का बीज बो दिया।लड़की वालों ने अपनी लड़की को बहुत समझाया, परंतु गंदी फिल्मों से प्रेरितलड़की ने एक नहीं मानी। परिवार वालों ने लड़की की हत्या कर दी। जिस कारणसे लड़की का भाई-पिता, माता तथा भाभी भी जेल गए। आजीवन कारागार होगई। उन दोनों ने प्रेम प्रसंग रूपी अग्नि से परिवार जला दिया। बसे-बसाए घर कानाश कर दिया। अन्य बहुत से उदाहरण हैं जिनमें औनर किलिंग का मुकदमा बननेसे फांसी तक सजा का प्रावधान है।
- युवाओ को संदेश 👇👇👇(About Love Marrige)
- हे युवा बच्चो! विचार करो! माता-पिता आपसे क्या-क्या उम्मीद लिए जीते हैं, आपको पढ़ाते हैं, पालते हैं। आप सामाजिकमर्यादा को भूलकर छोटी-सी भूल के कारण महान गलती करके जीवन नष्ट करजाते हो। इसलिए बच्चों को सत्संग सुनाना अनिवार्य है। सामाजिक ऊँच-नीच कापाठ पढ़ाना आवश्यक है जिसका लगभग अभाव हो चुका है।प्रश्न :- बारात का प्रचलन कैसे हुआ?उत्तर :- राजा लोगों से प्रारम्भ हुआ। वे लड़के के विवाह में सेना लेकर जातेथे। रास्ते में राजा की सुरक्षा के लिए सेना जाती थी। जिसका सब खर्च लड़कीवाला राजा वहन करता था।सेठ-साहूकार दहेज में अधिक आभूषण तथा धन देते थे। वे गाँव के अन्यगरीब वर्ग के व्यक्तियों को दिहाड़ी पर ले जाते थे जो सुरक्षा के लिए होते थे।उनको पहले दिन लड़के वाला अपने घर पर मिठाई खिलाता था। लड़की वाले सेप्रत्येक रक्षक को एक चाँदी का रूपया तथा एक पीतल का गिलास दिलाया जाताथा। जो गरीब वर्ग अपनी गाड़ी तथा बैल ले जाते थे, उनको कुछ अधिक राशिका प्रलोभन दिया जाता था। पहले जंगल अधिक होते थे। यातायात के साधन नहींथे। इस प्रकार यह एक परम्परा बन गई। उस समय अकाल गिरते थे। लोग निर्धनहोते थे। कोई धनी अकेला मिल जाता था तो उसको लूटना आम बात थी। इसकारण से बारात रूपी सेना का प्रचलन हुआ। फिर यह एक लोग-दिखावा परम्पराबन गई जिसकी अब बिल्कुल आवश्यकता नहीं है।
- भात और न्योता कैसे शुरू हुवा 👇👇(About Love Marrige)
- प्रश्न :- भात तथा न्योंदा-न्यौंदार कैसे चला?उत्तर :- उसका मूल भी बारात का आना, दहेज का देना। बारात ले जानेके लिए लड़के वाले द्वारा मिठाई खिलाना। लड़की वाले के लिए भी उस बारात केलिए मिठाई तथा रूपया-गिलास देना आदि के कारण भात तथा न्यौता (न्योंदा)प्रथा प्रारम्भ हुई। न्योता समूह में गाँव तथा आसपास गवांड गाँव के प्रेमी-प्यारेव्यक्ति होते हैं। जिसके लड़के या लड़की का विवाह हो तो अकेला परिवार खर्चवहन नहीं कर सकता था। उसके लिए लगभग सौ या अधिक सदस्य उस समूहमें होते हैं। जिसके बच्चे का विवाह होता था तो सब सदस्य अपनी वित्तीय स्थिति अनुसार न्योता (धन राशि) विवाह वाले के पिता को देते हैं। कोई सौ रूपये, कोईदो सौ रूपये, कोई कम, कोई अधिक जो एक प्रकार का निःशुल्क उधार होता है।उस पर ब्याज नहीं देना पड़ता। सबका न्योते का धन लिखा जाता है। प्रत्येक सदस्य की बही (डायरी) में प्रत्येक विवाह पर दिया न्योता लिखा होता है। इसप्रकार विवाह वाले परिवार को धन की समस्या नहीं आती है।(About Love Marrige)
- भात :- भात भी इसी कड़ी में भरा जाता है। बहन के बच्चों के विवाह में कुछकपड़े तथा नकद धन देना (भाई द्वारा की गई सहायता) भात कहा जाता है जोधन बहन को लौटाना नहीं होता। जिन बहनों के भाई नहीं हैं, वे उस दिन अतिदुःखी होती हैं, एकान्त में बैठकर रोती हैं।पीलिया :- लड़को संतान उत्पन्न होने पर मायके वालों की ओर से जच्चाके लिए घर का देशी शुद्ध घी, कुछ गौन्द (घी$आटा भूनकर$गोला$अजवायन$कालीमिर्च का मिश्रण गौन्द कहलाता है), नवजात बच्चे के छोटे-छोटे कपड़े (झूगले) भीमायके वाले तथा लड़की की ननंदों द्वारा लाए जाते हैं। यह परंपरा है जो कपड़ेएक वर्ष के पश्चात् व्यर्थ हो जाते हैं।इस तरह की परंपरा को त्यागना है क्योंकि जीवन के सफर में व्यर्थ का भारहै। आप अपनी बेटी की सहायता कर सकते हैं। जैसे गाय-भैंस लेनी है। बेटी कीवित्तीय स्थिति कमजोर है तो उसको नकद रूपये दे सकते हैं। बेटी का आपकीसंपत्ति में से हक दे सकते हैं, अगर बेटी लेना चाहे तो। बेटी को चाहिए किआवश्यकता पड़ने पर धन ले ले, परंतु फिर लौटा दे। परमात्मा पर विश्वास रखे।आपका सम्मान बना रहेगा।(About Love Marrige)
- उपाय:- इन सबका समाधान है कि विवाह को सूक्ष्मवेद के अनुसार कियाजाए। आप जी ने चार वेद सुने हैं :- यजुर्वेद,ऋग्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद। परंतुपाँचवा वेद सूक्ष्म वेद है जो स्वयं पूर्ण ब्रह्म जी ने पृथ्वी पर प्रकट होकर अपने मुखकमल से अमृतवाणी द्वारा प्रदान किया है।मेरे (रामपाल दास के) अनुयाई उसी पाँचवें वेद के अनुसार विवाह रस्मकरते हैं जिसमें कोई उपरोक्त परम्परा की आवश्यकता नहीं पड़ती। विवाह परतथा अन्य अवसरों लड़की-लड़के वाले पक्ष का कोई खर्च नहीं कराना होता। केवलकन्यादान यानि बेटी दान करना है। लड़की अपने पहनने के लिए केवल चार ड्रैसले जा सकती है। जूता तो पहन रखा है, बस। जिस घर में जाएगी, वह परिवारउस बेटी को अपने घर के सदस्य की तरह रखेगा। अपने घर की वित्तीय स्थितिके अनुसार अन्य सदस्य के समान सर्व आवश्यक वस्तुऐं उपलब्ध कराएगा। बेटीअपने माता-पिता, भाई-भाभी पर कोई भार नहीं बनेगी। जब कभी अपने मायकेआएगी तो कोई सूट तथा नकद नहीं लेगी। जिस कारण से भाभी-भाई को भी प्यारीलगेगी। भाभी को ननंद इसीलिए खटकती है कि आ गई चार-पाँच हजार खर्चकरवा कर जाएगी। परंतु हमारी बेटी सम्मान के साथ आएगी और सम्मान के साथलौट जाएगी। अपने मायके वालों से कोई वस्तु नहीं लेगी। जिससे दोनों पक्षों में 32परस्पर अधिक प्रेम सदा बना रहेगा। भक्ति भी अच्छी होगी। इस प्रकार जीने कीयथार्थ राह पर चलकर हम शीघ्र मंजिल पर (मोक्ष तक) पहुँचेंगे।(About Love Marrige)
- जिनके सन्तान न हो तो👇(About Love Marrige)
- प्रश्न :- जिनको संतान प्राप्त नहीं होती है, उस बेऔलादे (संतानहीन) कातो सुबह या शुभ कर्म को जाते समय मुख देखना भी बुरा मानते हैं? ऐसा क्यों?उत्तर :- यह संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान के टोटे के कारण गलत धारणा है।पाठकजन इसी पुस्तक के पृष्ठ 6 पर पढ़ें कि एक व्यक्ति के चार पुत्रा थे, उसकोअधरंग हो गया तो किसी ने सेवा नहीं की। क्या उस आदमी के दर्शन इसलिएअच्छे हैं कि उसके संतान हैं। उसकी दुर्गति को कौन देखना अच्छा समझेगा?कृतघ्नी पुत्राएक व्यक्ति के दो पुत्रा थे। फौज से सेनानिवृत था। पैंशन बनी थी। पुत्राअलग-अलग हो गए। छोटे पुत्रा ने माता को अपने घर पर रख लिया क्योंकि बच्चेछोटे थे। माता उनकी देखरेख के लिए चाहिए थी। बड़े के बाँटे पिता आ गया।पिता ने कहा कि मैं पैंशन के रूपये उसको दूँगा जिसमें रोटी खाऊँगा। छोटा बेटाकहता था कि आधी-आधी पैंशन बाँट दिया कर। पिता ने मना कर दिया तो एकदिन पिता के सिर में लाठी मारी। पिता तुरंत मर गया। लड़के को आजीवनकारावास की सजा हो गई। व्यक्ति को पुत्रा प्राप्त होने के कारण उसके दर्शन शुभमाने जाते थे जिसके साथ अशुभ हो गया।
- अब अध्यात्म क्या कहता है👇👇👇(About Love Marrige)
- अब आध्यात्मिक तराजू (ठंसंदबम) मेंतोलकर देखते हैं कि बिना संतान वाले के दर्शन शुभ हैं या अशुभ? जैसे इसीपुस्तक में ऊपर स्पष्ट किया है कि परिवार संस्कार से बनता है। कोई कर्ज उतारनेके लिए पिता-पुत्रा, पत्नी, माता-पिता, बहन-भाई आदि के रूप में जन्म लेकरपरिवार रूप में ठाठ से रहते दिखाई देते हैं, परंतु कई युवा अवस्था में मर जातेहैं। कई विवाह होते ही मर जाते हैं। ये सब अपना ऋण पूरा होते ही अविलंब शरीरत्याग जाते हैं। जिनको संतान नहीं हुई है, उनका कोई लेन-देन शेष नहीं है। वेयदि पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति करें तो उन जैसा सौभाग्यवान कोई नहीं है।न किसी के जन्म की खुशी, न मृत्यु का दुःख। उन बिना औलाद वालों का दर्शनतो अति शुभ है। यदि भक्ति नहीं करते तो चाहे औलाद (संतान) वाले हों, चाहेबेऔलादे (बिना संतान वाले) दोनों ही अपना जीवन नष्ट कर जाते हैं। यदि भक्तिकरते हैं तो दोनों के दर्शन शुभ हैं। (About Love Marrige)
- अधिक जानकारी के लिए आप पुस्तक पढ़े ज्ञान गंगा ,जीने की राह , गीता तेरा ज्ञान अम्रत , आप हमें इन नम्बरों पर whats app करे 7496801825 ,नाम पता मोबाइल सहित ।
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Bilkul sahi bat h
जवाब देंहटाएंयदि हम किसी की इज्जत लूटेंगे। तो एक दिन हमारी भी इज्जत लूटेगी
हटाएंHume bhi bhej do ji..Ye pustk
जवाब देंहटाएंAchhi story lagi h
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी जरूर भेज देंगे आपको यह पुस्तक
जवाब देंहटाएंMaza aa gya padne me👍👍😊😊
जवाब देंहटाएंPlz जल्दी भेजे ,मेने अड्रेस whats app कर दिया है
जवाब देंहटाएंAbsolutely right 👌
जवाब देंहटाएंयह प्रेम विवाह खत्म करने का नया कदम है
जवाब देंहटाएंLove marrige should end now
Right👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंवास्तम में सत्य ज्ञान है
जवाब देंहटाएंप्रमाणित ज्ञान है
समाज सुधार के जरूरी कदम
Nice
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंVery nice story & good work
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जवाब देंहटाएंदहेज मुक्त शादियां
जवाब देंहटाएंसंत रामपाल जी महाराज ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल बनाया है समाज में महिलाओं को बराबर का दर्जा दिलाया हैऔर अधिक जानकारी के लिए रिप्लाई करें नाम पता और मोबाइल नंबर पुस्तक निशुल्क आपके पते पर पहुंच जाएगी जी
Very nice
जवाब देंहटाएंअच्छी व् सुन्दर रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग में कभी ना कभी परेशानी उत्पन्न हो जाती है जरूरी है शादी गी पूर्ण शादी
जवाब देंहटाएंआज संत रामपाल जी महाराज जी जो जाती धर्म और दहेज रूपी जहर मानव समाज में फैला हुआ है उसे बड़े जोरो से ख़तम कर रहे है ।
जवाब देंहटाएंविश्व मे एक ही सन्त है जो तत्व ज्ञान दे रहे है वो है सन्त रामपाल जी महाराज
जवाब देंहटाएंkabir is God
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग यह एक बहुत गलत कुप्रथा है जो कि समाज बिगाड़ की चिंगारी है इससे समाज में गंदा वातावरण फैलता है जिससे आज के युवा वर्ग पर बहुत गलत प्रभाव पड़ रहा है।
जवाब देंहटाएंइसलिए हमें मर्यादा में रहकर ही शादी करनी चाहिए।
और परमात्मा के सत्संग सुनने चाहिए।
जानने के लिए देखें साधना टीवी चैनल शाम 7:30 बजे
यह एक अतुलनीय और बहुत नेक रास्ता है
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग आगे चल के विनाश का कारण बनता है
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग को रोकने के लिए यह बहुत ही अच्छा कदम है।
जवाब देंहटाएंKabir is supreme god and creator of the universe
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग यह संस्कारवश होते हैं जो संत रामपालजी महाराज की शरण में जाने से समाप्त हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंनाइस पोस्ट
जवाब देंहटाएंअधिकतर युवा अपने माँ बाप के खिलाफ प्रेम विवाह करते हैं जो उनकी ज़िंदगी में कई समस्याओं के खुद जिम्मेदार होते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी है
जवाब देंहटाएंRight
जवाब देंहटाएंBhagavad Gita Chapter 18 verses number 65 where I is the Arjuna that God is in the shelter of where to go after the seeker back again does not come back.
जवाब देंहटाएंIt's a nice step to stop love marriages
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSuper
जवाब देंहटाएंNice information
जवाब देंहटाएंYe book chahiye
जवाब देंहटाएंगजब
जवाब देंहटाएंFantastic
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग उचित नहीं है
जवाब देंहटाएंअद्भुत जानकारी
जवाब देंहटाएंGreat knowledge
जवाब देंहटाएंएक ऐसा ज्ञान जहा सिर्फ एक धर्म है एक जाति ह मानव धर्म
जवाब देंहटाएंGood article and this should be more benifitial for good Worshipers or devotee
जवाब देंहटाएंNice post👌👌🙏👍
जवाब देंहटाएंExcellent
जवाब देंहटाएंआज संत रामपाल जी महाराज जी जो जाती धर्म और दहेज रूपी जहर मानव समाज में फैला हुआ है उसे बड़े जोरो से ख़तम कर रहे है ।
जवाब देंहटाएंNice story.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी
जवाब देंहटाएंसही बताया ऐसे विवाह से तो अच्छा है कि विवाह ही नही कर
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंसन्त रामपालजी महाराज का ज्ञान उत्तम है ।
जवाब देंहटाएंदेखें जी रोजाना साधना टीवी 7:30pm
Purn guru shastr pramanit gyan batata hai jo ki sant rampal ji maharaj bhi praman dekar kabir saheb ji hi supreme god hai sabit kiye hai.
जवाब देंहटाएंJine ki rah book se jene ka maksd malum hota he
जवाब देंहटाएंप्रेम परिवार उजड़ने का कारण बन सकता है
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंPustak jine ki rah avashya padiye Or SANT RAMPAL Ji maharaj Ji se Naamdan Lekar APNA jeevan safal banaye
जवाब देंहटाएंPustak jine ki rah avashya padiye Or SANT RAMPAL Ji maharaj Ji se Naamdan Lekar APNA jeevan safal banaye
जवाब देंहटाएंPustak jine ki rah avashya padiye Or SANT RAMPAL Ji maharaj Ji se Naamdan Lekar APNA jeevan safal banaye
जवाब देंहटाएंTrue knowledge
जवाब देंहटाएंपवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य है
जवाब देंहटाएंऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 82 मंत्र 1 में लिखा है कि वह सर्वोत्पादक प्रभु , सृष्टि की रचना करने वाला, पाप कर्मो को हरण करने वाला राजा के समान दर्शनीय है 👉इससे सिद्ध हुआ कि परमात्मा साकार है
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग विनाश का कारण है
जवाब देंहटाएंप्रेम प्रसंग यह संस्कारवश होते हैं जो संत रामपालजी महाराज की शरण में जाने से समाप्त हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसँत रामपाल जी महाराज ऐसा सत्य ज्ञान देते हैं,जो कि पुर्ण रुप से शास्त्रप्रमाणित ज्ञान है जिससे सभी मानव मे सद्भावना पैदा होती हैं और वह किसी भी अपराधीक गतिविधियों से दुर रहता हैं ।
जवाब देंहटाएं👇👇👇👇👇👇👇👇
संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्रों से प्रमाणित सत भक्ति प्रदान करते हैं
जवाब देंहटाएंसत वचन
जवाब देंहटाएंWow
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंnice story
जवाब देंहटाएंभाई क्या यै दैवता भी प्ररेम मे पडे थै
जवाब देंहटाएंNice and interesting
जवाब देंहटाएंMust know that
जवाब देंहटाएंBhut bura hota he prem parsang
जवाब देंहटाएंLove is not a bad thing but true love can only be found with the full divine Kabir Sahib. To go to the shelter of Kabir God, please be happy about life by preaching saint Rampal ji.
जवाब देंहटाएंRead: -1. "GyanGanga"
2. The way to live
यदि आप इन सब बुराईयों को छोड़ना चाहते हैं तो
जवाब देंहटाएंएक बार जरूर क्लिक करें नीचे दी गई लिंक पर।
www.jagatgururampalji.org
ये सब बुरी बाते है सन्तों की शरण मे जाए
जवाब देंहटाएंBahut achha gyaan hai aaj ke yuva logo ko shakt jaroorat
जवाब देंहटाएं"Tith for that" jesa kroge vesa hi bgugtna hoga niyam is jiyoti niranjan bhagwan supreme God is 21bramand
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंVery nice ��������������
जवाब देंहटाएंVery nice
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