जीव हमारी जाति है ,मानव धर्म हमारा !
हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई धर्म नहीं है कोई न्यारा।
बहुत दिनो से देख रहा हुँ ,कोई तो सियासत के पीछे लगा हुआ है और कोई राजनीति में इतना घुल गया की आज इंसान ही इंसान का दुश्मन बन गया है !
इसलिए सोचा मेरे दिल की बात आप सभी के साथ शेयर कर दूं ! शायद ऊपरवाला आप सभी को सदबुद्धि दे दे ।
भाईचारा (इंसानियत)
इस मौके पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं सिर्फ इंसानियत में यकीन रखता हूं। मेरा मजहब इंसानियत है, मेरा मुल्क इंसानियत है। हिंदू, सिख, ईसाई, मुसलमान और यहूदी तो खानदान हैं। ये सभी धर्म एक परिवार हैं। एक घर में रहने वाले का नाम मुसलमान है, तो दूसरे घर में रहने वाले को हम हिंदू कहते हैं। ईसाई, सिख और यहूदी अलग-अलग घरों में रहते हैं। इन सबके नाम अलग हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से जुदा नहीं हैं।
नफरत क्यों (इंसानियत)
हम सबके जन्म का तरीका एक है। हमारे एहसास और भावनाएं समान हैं। यानी ईश्वर ने हमारे बीच कोई भेद नहीं किया है। अब सवाल उठता है, जब हम सब एक हैं, तो हम एक-दूसरे से नफरत कैसे कर सकते हैं? कैसे एक धर्म का इंसान दूसरे धर्म के इंसान का कत्ल कर सकता है, उसका खून बहा सकता है? क्या किसी ने दूसरे को मारने से पहले खुद को सुई चुभाकर देखी कि इससे कितना दर्द होता है? क्या किसी ने दूसरे का खून बहाने से पहले देखा कि उसके खून का रंग क्या है? अगर हमारे खून का रंग एक है, हमारा दर्द एक है, तो हम एक-दूसरे को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं? वे कौन लोग हैं, जो मजहब के नाम पर दूसरों का कत्ल करने पर आमादा हैं?
इंसानियत (इंसानियत)
कोई मजहब नफरत की शिक्षा नहीं देता। चाहे हिंदू धर्म हो, इस्लाम हो या ईसाई, मैंने किसी धर्म में नफरत नहीं देखी। हर मजहब इंसानियत का पैगाम देता है। हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने हमें इंसान बनाया। नहीं तो, वह हमें जानवर भी बना सकता था। ईश्वर ने हमें इंसान बनाया, ताकि हम नेक काम करें। उसने इंसान बनाने के साथ ही हमें जिम्मेदारियां भी दी हैं। इंसान होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास रहने वाले लोगों की मदद करें,उनका खयाल रखें, न कि उनका खून बहाएं।
अच्छा जीवन (इंसानियत)
अगर दूसरे लोग तकलीफों में जल रहे हों, तो भला हम खुश कैसे रह सकते हैं? यह तो इंसानियत के खिलाफ है। अगर दूसरों का दर्द आपको खुशी देता है, तो ऐसा जीवन बेकार है। मैं ऐसी जिंदगी को लानत भेजता हूं, जहां आप दूसरों की तकलीफों के बीच खुशियां मनाते हैं। मैं सारे मजहबों से बहुत प्यार करता हूं। हर मजहब इंसानियत की बात करता है। जिस स्थान पर हम इबादत करते हैं, वहां सिर्फ प्यार और शांति की बात होनी चाहिए। वहां दूसरों को दर्द देने की बात नहीं हो सकती। हर मजहब कहता है कि दुखी और मजबूर लोगों की मदद करो।
सवाल करें (इंसानियत)
जो लोग खून-खराबे की बात करते हैं, मैं उनसे पूछता हूं कि क्या उन्होंने कभी सोचा है कि अगर उनका एक हाथ या पैर काट लिया जाए, तो उन्हें कितना दर्द होगा? आखिर वे हम भाइयों को क्यों दर्द दे रहे हैं? क्यों हमें एक-दूसरे से जुदा करने की कोशिश कर रहे हैं? हमें क्यों इन नफरतों के बीच जलाया जा रहा है? क्यों हमें बांटा जा रहा है? हमें सोचना चाहिए कि ऐसी ताकतों की मंशा क्या है, उनके इरादे क्या हैं?
चुप मत रहें (इंसानियत)
अब वक्त आ गया है कि हम ऐसी ताकतों के खिलाफ आवाज उठाएं। यह इंसानियत का तकाजा है। यह आज की जरूरत है। मैंने कहीं पढ़ा था कि समुद्र में एक जहाज जा रहा था। समुद्र के नीचे तल पर मौजूद कुछ लोग जहाज में छेद कर रहे थे। शायद वे जहाज डुबाने की मंशा रखते थे। जहाज के ऊपरी मंजिल पर बैठे लोग यह नजारा बड़े इत्मीनान से देख रहे थे। उन्होंने कहा, जो हो रहा है होने दो, हमें क्या? उन्होंने जहाज में छेद करने वालों को नहीं रोका। उन्हें लगा कि अगर जहाज डूबा, तो सिर्फ नीचे वाले मरेंगे और वे बच जाएंगे। लेकिन मेरे भाई आप ऐसी भूल मत करना। अगर जहाज डूबेगा, तो हम सब मर जाएंगे। कोई नहीं बचेगा।
हमारी कोशिश (इंसानियत)
आइए हम प्रतिज्ञा करें कि हम जहाज को डूबने नहीं देंगे। यह जहाज क्या है? यह जहाज है इंसानियत की अजमत। हम इंसानियत पर आंच नहीं आने देंगे। हमारी कोशिश है कि हम भारत और पाकिस्तान को करीब लाएं, उनके बीच अमन कायम करें। ये कौन-सी ताकतें हैं, जो दोनों मुल्कों को करीब नहीं आने देतीं? कौन इन्हें दूर करने की कोशिश कर रहा है? मैं यहां आने से पहले किसी से कह रहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान एक हो जाएं, तो दोनों मुल्क इतनी तरक्की करेंगे कि उन्हें किसी तीसरे की जरूरत नहीं होगी। हमें दोनों मुल्कों को करीब लाना है।
कैसी राजनीति (इंसानियत)
यह कैसी राजनीति है? अगर भारत में कोई शख्स पकड़ा जाता है, तो कहते हैं कि वह पाकिस्तानी जासूस है। अगर पाकिस्तान में कोई पकड़ा जाए, तो कहते हैं कि भारतीय जासूस है। ये क्या बात हुई? कौन जासूसी कर रहा है, किसकी जासूसी कर रहा है, और क्यों? अगर कोई जासूसी कर रहा है, तो यह बंद हो। यह सिलसिला रुकना चाहिए। मैं कोई नेता नहीं हूं। मेरा राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन मेरी ख्वाहिश है कि दोनों देशों को करीब लाया जाए। जंग और धमाकों में कुछ नहीं रखा। मैंने हिंसा में किसी हिंदू, सिख, ईसाई या मुलसमान को मरते नहीं देखा। मैंने अगर किसी को मरते देखा है, तो वह है एक पिता, एक बीवी, एक मां या फिर एक बेटा। हम इन रिश्तों को बचाना चाहते हैं, तो हमें एक पिता, एक भाई और मां बनकर सोचना होगा। तभी हम समझ पाएंगे कि जंग और धमाके किस कदर रिश्तों और इंसानियत को तबाह कर रहे हैं।
लेखक की कलम से......................................
यहा से जाने कौन हे दुनिया का मुक्ति दाता
HERE
हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई धर्म नहीं है कोई न्यारा।
बहुत दिनो से देख रहा हुँ ,कोई तो सियासत के पीछे लगा हुआ है और कोई राजनीति में इतना घुल गया की आज इंसान ही इंसान का दुश्मन बन गया है !
इसलिए सोचा मेरे दिल की बात आप सभी के साथ शेयर कर दूं ! शायद ऊपरवाला आप सभी को सदबुद्धि दे दे ।
भाईचारा (इंसानियत)
इस मौके पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं सिर्फ इंसानियत में यकीन रखता हूं। मेरा मजहब इंसानियत है, मेरा मुल्क इंसानियत है। हिंदू, सिख, ईसाई, मुसलमान और यहूदी तो खानदान हैं। ये सभी धर्म एक परिवार हैं। एक घर में रहने वाले का नाम मुसलमान है, तो दूसरे घर में रहने वाले को हम हिंदू कहते हैं। ईसाई, सिख और यहूदी अलग-अलग घरों में रहते हैं। इन सबके नाम अलग हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से जुदा नहीं हैं।
नफरत क्यों (इंसानियत)
हम सबके जन्म का तरीका एक है। हमारे एहसास और भावनाएं समान हैं। यानी ईश्वर ने हमारे बीच कोई भेद नहीं किया है। अब सवाल उठता है, जब हम सब एक हैं, तो हम एक-दूसरे से नफरत कैसे कर सकते हैं? कैसे एक धर्म का इंसान दूसरे धर्म के इंसान का कत्ल कर सकता है, उसका खून बहा सकता है? क्या किसी ने दूसरे को मारने से पहले खुद को सुई चुभाकर देखी कि इससे कितना दर्द होता है? क्या किसी ने दूसरे का खून बहाने से पहले देखा कि उसके खून का रंग क्या है? अगर हमारे खून का रंग एक है, हमारा दर्द एक है, तो हम एक-दूसरे को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं? वे कौन लोग हैं, जो मजहब के नाम पर दूसरों का कत्ल करने पर आमादा हैं?
इंसानियत (इंसानियत)
कोई मजहब नफरत की शिक्षा नहीं देता। चाहे हिंदू धर्म हो, इस्लाम हो या ईसाई, मैंने किसी धर्म में नफरत नहीं देखी। हर मजहब इंसानियत का पैगाम देता है। हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने हमें इंसान बनाया। नहीं तो, वह हमें जानवर भी बना सकता था। ईश्वर ने हमें इंसान बनाया, ताकि हम नेक काम करें। उसने इंसान बनाने के साथ ही हमें जिम्मेदारियां भी दी हैं। इंसान होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास रहने वाले लोगों की मदद करें,उनका खयाल रखें, न कि उनका खून बहाएं।
अच्छा जीवन (इंसानियत)
अगर दूसरे लोग तकलीफों में जल रहे हों, तो भला हम खुश कैसे रह सकते हैं? यह तो इंसानियत के खिलाफ है। अगर दूसरों का दर्द आपको खुशी देता है, तो ऐसा जीवन बेकार है। मैं ऐसी जिंदगी को लानत भेजता हूं, जहां आप दूसरों की तकलीफों के बीच खुशियां मनाते हैं। मैं सारे मजहबों से बहुत प्यार करता हूं। हर मजहब इंसानियत की बात करता है। जिस स्थान पर हम इबादत करते हैं, वहां सिर्फ प्यार और शांति की बात होनी चाहिए। वहां दूसरों को दर्द देने की बात नहीं हो सकती। हर मजहब कहता है कि दुखी और मजबूर लोगों की मदद करो।
सवाल करें (इंसानियत)
जो लोग खून-खराबे की बात करते हैं, मैं उनसे पूछता हूं कि क्या उन्होंने कभी सोचा है कि अगर उनका एक हाथ या पैर काट लिया जाए, तो उन्हें कितना दर्द होगा? आखिर वे हम भाइयों को क्यों दर्द दे रहे हैं? क्यों हमें एक-दूसरे से जुदा करने की कोशिश कर रहे हैं? हमें क्यों इन नफरतों के बीच जलाया जा रहा है? क्यों हमें बांटा जा रहा है? हमें सोचना चाहिए कि ऐसी ताकतों की मंशा क्या है, उनके इरादे क्या हैं?
चुप मत रहें (इंसानियत)
अब वक्त आ गया है कि हम ऐसी ताकतों के खिलाफ आवाज उठाएं। यह इंसानियत का तकाजा है। यह आज की जरूरत है। मैंने कहीं पढ़ा था कि समुद्र में एक जहाज जा रहा था। समुद्र के नीचे तल पर मौजूद कुछ लोग जहाज में छेद कर रहे थे। शायद वे जहाज डुबाने की मंशा रखते थे। जहाज के ऊपरी मंजिल पर बैठे लोग यह नजारा बड़े इत्मीनान से देख रहे थे। उन्होंने कहा, जो हो रहा है होने दो, हमें क्या? उन्होंने जहाज में छेद करने वालों को नहीं रोका। उन्हें लगा कि अगर जहाज डूबा, तो सिर्फ नीचे वाले मरेंगे और वे बच जाएंगे। लेकिन मेरे भाई आप ऐसी भूल मत करना। अगर जहाज डूबेगा, तो हम सब मर जाएंगे। कोई नहीं बचेगा।
हमारी कोशिश (इंसानियत)
आइए हम प्रतिज्ञा करें कि हम जहाज को डूबने नहीं देंगे। यह जहाज क्या है? यह जहाज है इंसानियत की अजमत। हम इंसानियत पर आंच नहीं आने देंगे। हमारी कोशिश है कि हम भारत और पाकिस्तान को करीब लाएं, उनके बीच अमन कायम करें। ये कौन-सी ताकतें हैं, जो दोनों मुल्कों को करीब नहीं आने देतीं? कौन इन्हें दूर करने की कोशिश कर रहा है? मैं यहां आने से पहले किसी से कह रहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान एक हो जाएं, तो दोनों मुल्क इतनी तरक्की करेंगे कि उन्हें किसी तीसरे की जरूरत नहीं होगी। हमें दोनों मुल्कों को करीब लाना है।
कैसी राजनीति (इंसानियत)
यह कैसी राजनीति है? अगर भारत में कोई शख्स पकड़ा जाता है, तो कहते हैं कि वह पाकिस्तानी जासूस है। अगर पाकिस्तान में कोई पकड़ा जाए, तो कहते हैं कि भारतीय जासूस है। ये क्या बात हुई? कौन जासूसी कर रहा है, किसकी जासूसी कर रहा है, और क्यों? अगर कोई जासूसी कर रहा है, तो यह बंद हो। यह सिलसिला रुकना चाहिए। मैं कोई नेता नहीं हूं। मेरा राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन मेरी ख्वाहिश है कि दोनों देशों को करीब लाया जाए। जंग और धमाकों में कुछ नहीं रखा। मैंने हिंसा में किसी हिंदू, सिख, ईसाई या मुलसमान को मरते नहीं देखा। मैंने अगर किसी को मरते देखा है, तो वह है एक पिता, एक बीवी, एक मां या फिर एक बेटा। हम इन रिश्तों को बचाना चाहते हैं, तो हमें एक पिता, एक भाई और मां बनकर सोचना होगा। तभी हम समझ पाएंगे कि जंग और धमाके किस कदर रिश्तों और इंसानियत को तबाह कर रहे हैं।
लेखक की कलम से......................................
यहा से जाने कौन हे दुनिया का मुक्ति दाता
HERE
Manav Mein yadi Manavta Nahin Tu Ghar Pashu Saman hai - संत रामपाल जी महाराज।
जवाब देंहटाएंमानव में अगर इंसानियत नहीं है तो वह राक्षस के समान है
जवाब देंहटाएंइंसान को क्या करना चाहिए कैसे रहना चाहिए इन सब बातों का हमें सत्संग में पता लगता है
वह सत्संग भी ऐसा हो जो हमें ऐसा अनमोल और निर्मल ज्ञान सुनने को मिले जिससे हमारा जीवन में बदलाव एवं नई सोच आ सकें
जितने भी संत हैं कहते हैं हम एक परमात्मा की संतान हैं और हमें एक परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए बिल्कुल सही कहते हैं
लेकिन भाइयों उन्हें यह नहीं पता वह एक परमात्मा कौन है और उन्हें यह भी नहीं पता जब हम एक ही परमात्मा के बच्चे हैं तो फिर जाति या धर्म आदि आदि कहां से आ गए क्या कभी आज तक किसी संत ने इस बात का बीड़ा उठाया क्यों नहीं उठाया
आज धरती पर संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा का सच्चा ज्ञान पढ़े लिखे युवकों के सामने लेकर आए हैं जो हमें यह सिखाता है हम अलग अलग नहीं हैं
इसलिए उन्होंने हमें समझाने के लिए हमें एक करने के लिए
नारा दिया है
जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं है कोई न्यारा।।
इस ऐतिहासिक सत्संग में आप पधार कर अनमोल ज्ञान सुनकर एक सच्चा परमात्मा ज्ञान समझ कर आध्यात्मिक ज्ञान का लाभ उठाएं
Very nice
जवाब देंहटाएंयह एक एतिहासिक कार्यक्रम है इसमें सभी पहुंचे जी
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंKabir is real god
जवाब देंहटाएंKabir is real god
जवाब देंहटाएंबहुत ही गजब का लेख हमें सबको अनुसरण करना चाहिए
जवाब देंहटाएंसंत रामपाल जी महाराज अपने अनमोल ज्ञान से भारत ही नही पूरे विश्व में लाएंगे स्वर्णयुग
जवाब देंहटाएंSuper
जवाब देंहटाएंRight ji
जवाब देंहटाएंऐसा गियान ओर कही पर भी नही मिलेगा
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंKakab is complete God.
जवाब देंहटाएंऔर ज्ञान सब ज्ञानड़ी कबिर ज्ञान सो ज्ञान।
जवाब देंहटाएंजैसे गोला तोप का फिर करता चले मेदान।।
सात समंदर की मसी करू लिखनी करू बनराय धरती का कागज करू गुरु गुण लिखा न जाय
जवाब देंहटाएंनहीं भरोसा इस देही का मनुष्य जाय छिन्न माय स्वांस स्वांस में नाम जपो और जतन कुछ नाही करता
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंबिल्कुल
जवाब देंहटाएं🔱 शिवलिंग की पूजा काल ब्रह्म ने प्रचलित करके मानव समाज को दिशाहीन कर दिया। वेदों तथा गीता के विपरीत साधना बता दी।
जवाब देंहटाएंमजहब से जरूरी इंसानियत है।
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंये तन विष् की बेलड़ी,गुरु अमृत की खान।
जवाब देंहटाएंशीश दिए जे गुरु मिल,तो भी सस्ता जान।।
बहुत ही गजब का लेख है इसको ध्यान पढकर अनुसरण करना चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही अद्धभूत लेख है
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात है कि इंशानियत होना जरूरी है।
जवाब देंहटाएंहां जी हम सब का मालिक एक है
जवाब देंहटाएंसभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों का सार है कि हम सबका मालिक जनक एक है
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही लेख है
जवाब देंहटाएंKavir is supirm god
जवाब देंहटाएंइंसानियत का पाठ आज पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज ही सीखा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंउनके सत्संग अवश्य देखिए।
सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार।
जवाब देंहटाएंतो भी बराबर है नहीं कहें कबीर विचार।।
वह कौन-सी सत्संग है यह जानने के लिए अवश्य देखें श्रृदा टीवी चैनल 2:00 दोपहर में ।
Nice
जवाब देंहटाएंWho is god , kabir is supreme God.
जवाब देंहटाएंKuran and vedas say that kabir is supreme god.
जवाब देंहटाएंRight
जवाब देंहटाएंइंसान बन कर रहना चाहिए
जवाब देंहटाएंधर्म के नाम पर नही लड़ना चाहिए
जवाब देंहटाएंKabir is God
जवाब देंहटाएं